Friday, January 25, 2013

शायद तुझे भुलाना पड़े


जानता  हूँ .....
Shlok Ranjan Srivastava
कि अगर जय हिन्द कहा तो .....
बेमानी सा  होगा ...
लेकिन अगले  वर्ष तुझे भूल गए  तो माफ़ करना ....

क्यूंकि देश मेरे तुझे पता नहीं।।।
कि इस गढ़तंत्र में ....
अपने शख्शियत को बचाने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .....
अपने अक्श को अस्क में बह जाने से बचाने के लिए ......
शायद तुझे भुलाना पड़े .....
इस भाग दौड़ में कुछ पल अपनों के संग बिताने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .....
इस समाज में अपनी शाख बचाने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .....

मैं ये नही कहता गलती तुम्हारी ही है ....
लेकिन गलती हमारी भी नहीं .....
इस आजाद परिंदे को पिंजरे से बचाने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .....

मालूम है सवाल तुम्हारे पास भी होंगे ....
लेकिन याद रखना बस इन्ही सवालो के जवाब ना देना पड़ जाये .....
इसीलिए ......
शायद तुझे भुलाना पड़े .....

क्यूंकि तुझे तो पता ही होगा ......
तेरे दामन पे रहने वाले .....
उन सफ़ेद खादी धारियों को ....
जितना भी मिल जाये वो कम है .......
और हम जैसों को अपने कम को ज्यादा बनाने के लिए .....
अगर तुझे छोड़ के जाना पड़ जाये  तो ......
शायद तुझे भुलाना पड़े .....

कभी थी इंक़िलाब की आग हम में भी .....
कभी छेड़ा था जंग तेरे लिए ......
लेकिन अब अपनों से ही तुझे बचाना है .....
इसीलिए अपनों की लड़ाई से बचने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .....

सोचा था हम भी कुछ कर के दिखायेंगे .....
दुनिया में तेरा और अपना नाम कमाएंगे .....
पर सोचो जरा अब .....
इन रिजर्वेशन और कोटों को कैसे हटायेंगे ....
इसीलिए किसी दिन इनसे बचने के लिए .....
शायद तुझे भुलाना पड़े .........

जो भी हो  भविष्य ....
वर्तमान सुधारना होगा .....
सिर्फ नेताओं को नही ....
हर इंसान को सुधारना होगा ....
फिर सोचूंगा अगले वर्ष मैं  .....
की शायद तुझे भुलाना पड़े  ...... !!!!!!!

                                                                                                Written by : - Shlok Ranjan 

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